AKTU 2025-26 विषम सेमेस्टर प्रैक्टिकल परीक्षाओं की नई गाइडलाइंस, ऑफलाइन मोड में एक हफ्ते की सख्त समयसीमा

By Divyanshu Dubey

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AKTU 2025-26 विषम सेमेस्टर प्रैक्टिकल परीक्षाओं की नई गाइडलाइंस, ऑफलाइन मोड में एक हफ्ते की सख्त समयसीमा
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AKTU प्रैक्टिकल परीक्षा 2025-26 के इन दिशानिर्देशों ने छात्रों के लिए एक नया मानक स्थापित कर दिया है, जहां ऑफलाइन मोड में परीक्षाओं का आयोजन, प्राप्तांकों का परीक्षा दिवस अपलोड और तीन जीयो-टैग फोटो की अनिवार्यता जैसे कदम पारदर्शिता और त्वरित मूल्यांकन सुनिश्चित करते हैं। यह बदलाव न केवल परीक्षा प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा, बल्कि संस्थानों को भी अधिक जवाबदेहीपूर्ण बनाएगा। एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में, मैंने देखा है कि ऐसे अपडेट अक्सर छात्रों की तैयारी को प्रभावित करते हैं, खासकर जब लिखित परीक्षाओं के ठीक बाद प्रैक्टिकल्स पूरे करने की बात हो।

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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) ने 10 दिसंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किया है, जिसमें 2025-26 शैक्षणिक सत्र के विषम सेमेस्टर (ओड सेमेस्टर) के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों—जैसे बी.टेक, एम.टेक, बी.फार्मा, एम.बी.ए. आदि—के रेगुलर और कैरीओवर विषयों की प्रैक्टिकल एवं प्रोजेक्ट परीक्षाओं के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। मुख्य बात यह है कि ये परीक्षाएं ऑफलाइन मोड में वर्तमान से शुरू होकर लिखित परीक्षाओं की समाप्ति के एक सप्ताह के भीतर पूरी करनी होंगी, ताकि छात्रों का मूल्यांकन जल्दी हो सके। साथ ही, प्राप्तांकों का ऑनलाइन अपलोड परीक्षा दिवस पर ही अनिवार्य है, जिसमें वाह्य एवं आंतरिक परीक्षकों और छात्रों के साथ तीन जीयो-टैग फोटोग्राफ भी शामिल हैं। यह कदम छात्रहित को प्राथमिकता देते हुए पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास है, जो पहले के वर्षों की तुलना में अधिक कड़े हैं।

प्रैक्टिकल परीक्षाओं की मुख्य विशेषताएं: एक नजर

  • ऑफलाइन आयोजन की अनिवार्यता: लिखित परीक्षाओं के बाद एक हफ्ते में पूरी प्रक्रिया, जो छात्रों को त्वरित फीडबैक देगी।
  • डिजिटल अपलोड का जोर: ERP पोर्टल पर तत्काल मार्क्स एंट्री और 1MB साइज की जीयो-टैग फोटो, जो फर्जीवाड़े को रोकेगी।
  • संस्थानों की भूमिका: परीक्षकों की ड्यूटी लिस्ट ERP में उपलब्ध, ईमेल सपोर्ट के साथ समस्या निवारण।

किसको मिलेगा फायदा, किसको होगा नुकसान?

AKTU की इन नई प्रैक्टिकल परीक्षा गाइडलाइंस से सबसे बड़ा लाभ छात्रों को ही होगा, खासकर उन बी.टेक और एम.टेक जैसे कोर्सेज के विद्यार्थियों को जो कैरीओवर विषयों से जूझ रहे हैं। कल्पना कीजिए, अगर आप एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच के छात्र हैं और पिछले सेमेस्टर का कोई प्रैक्टिकल बैक है—अब आपको लिखित एग्जाम के एक हफ्ते के अंदर ही इसे क्लियर करने का मौका मिलेगा, जिससे सेमेस्टर रिजल्ट में देरी नहीं होगी। रेडिट के एक थ्रेड में छात्रों ने शेयर किया था कि पहले की देरी से उनका प्लेसमेंट प्रभावित होता था; अब यह समयसीमा उन्हें तेजी से आगे बढ़ने में मदद करेगी।

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दूसरी ओर, संस्थानों और शिक्षकों के लिए यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। छोटे कॉलेजों में, जहां लैब सुविधाएं सीमित हैं, एक हफ्ते में सभी प्रैक्टिकल्स शेड्यूल करना मुश्किल पड़ेगा—खासकर अगर परीक्षकों की कमी हो। एक क्वोरा यूजर ने पुरानी पोस्ट में बताया था कि ऐसे दबाव से शिक्षक ओवरलोड हो जाते हैं, जिससे क्वालिटी प्रभावित होती है। लेकिन कुल मिलाकर, छात्रों का फायदा स्पष्ट है, जबकि संस्थानों को बेहतर प्लानिंग अपनानी पड़ेगी।

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इन गाइडलाइंस से परीक्षा प्रक्रिया पर क्या पड़ेगा असर?

यह बदलाव AKTU के समस्त संबद्ध संस्थानों—लखनऊ से लेकर कानपुर तक फैले सैकड़ों कॉलेजों—की परीक्षा प्रक्रिया को तुरंत प्रभावित करेगा। सबसे पहले, ऑफलाइन मोड की वापसी (जो कोविड के बाद हाइब्रिड थी) लैब-बेस्ड कोर्सेज जैसे सिविल इंजीनियरिंग में स्ट्रक्चरल एनालिसिस प्रैक्टिकल या केमिकल इंजीनियरिंग में प्रोसेस सिमुलेशन प्रोजेक्ट्स को अधिक प्रामाणिक बनाएगी। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर हाल ही में एक पोस्ट में छात्रों ने शिकायत की थी कि ऑनलाइन प्रैक्टिकल्स में असली स्किल्स का मूल्यांकन नहीं होता; अब जीयो-टैग फोटो से लोकेशन वेरिफिकेशन सुनिश्चित होगा, जो चीटिंग को 30-40% तक कम कर सकता है, जैसा कि पिछले वर्षों के आंकड़ों से संकेत मिलता है।

हालांकि, तत्काल अपलोड की मांग से ERP सिस्टम पर लोड बढ़ेगा, जिससे छोटे संस्थानों में तकनीकी गड़बड़ियां हो सकती हैं। लेकिन ईमेल सपोर्ट (dcoe_b@aktu.ac.in) जैसी सुविधा से यह समस्या हल हो सकती है। कुल प्रभाव? अधिक कुशल और पारदर्शी सिस्टम, जो छात्रों को रिजल्ट वेटिंग टाइम से मुक्ति देगा।

लॉन्ग टर्म इफेक्ट: AKTU की परीक्षा प्रणाली में स्थायी बदलाव

दीर्घकालिक रूप से, ये गाइडलाइंस AKTU को एक डिजिटल-फर्स्ट यूनिवर्सिटी की ओर ले जाएंगी, जहां प्रैक्टिकल मूल्यांकन रीयल-टाइम होगा। कल्पना कीजिए, 2026-27 तक अगर यह पैटर्न चले, तो बी.फार्मा जैसे कोर्सेज में फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन राष्ट्रीय स्तर पर बेंचमार्क बनेगा। यूट्यूब चैनलों पर छात्रों के कमेंट्स से पता चलता है कि पहले की देरी से मोटिवेशन कम होता था; अब यह सिस्टम ग्रेजुएशन रेट को 10-15% बढ़ा सकता है, जैसा कि अन्य टेक यूनिवर्सिटीज में देखा गया है।

हालांकि, अगर संस्थान अनुकूलन न करें, तो असमानता बढ़ सकती है—बड़े कॉलेज आसानी से अपनाएंगे, छोटे पिछड़ जाएंगे। मेरा मानना है कि AKTU को अब ट्रेनिंग वर्कशॉप्स शुरू करने चाहिए, ताकि यह बदलाव सभी के लिए सकारात्मक साबित हो। यह न केवल छात्रों की स्किल्स को मजबूत करेगा, बल्कि इंडस्ट्री रेडीनेस को भी बढ़ावा देगा।

प्रैक्टिकल परीक्षा अपलोड प्रक्रिया: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

नीचे दी गई टेबल में AKTU ERP पोर्टल पर प्राप्तांक और फोटो अपलोड के सरल स्टेप्स दिए गए हैं। यह मोबाइल-फ्रेंडली फॉर्मेट में है, ताकि आप आसानी से फॉलो कर सकें। PDF डाउनलोड लिंक भी शामिल है: सर्कुलर डाउनलोड करें

स्टेपविवरणटिप्स
1ERP लॉगिन करें (संस्थान/शिक्षक अकाउंट से)पासवर्ड भूल गए? संस्थान आईटी सेल से रीसेट करवाएं।
2परीक्षक ड्यूटी लिस्ट चेक करेंईआरपी में अपलोडेड लिस्ट डाउनलोड करें; छात्रों को सूचित करें।
3परीक्षा आयोजित करें (ऑफलाइन, एक हफ्ते के अंदर)प्रारंभ, मध्य, समाप्ति पर तीन जीयो-टैग फोटो लें (1MB मैक्स साइज)।
4प्राप्तांक एंटर करेंपरीक्षा समाप्ति तक तत्काल अपलोड; कैरीओवर विषयों के लिए अलग से वेरिफाई।
5फोटो अपलोड करेंव्हाट्सएप ग्रुप से शेयर न करें—सीधे ERP में। समस्या? dcoe_b@aktu.ac.in पर मेल।

PDF स्क्रीनशॉट सेक्शन:
सर्कुलर का मुख्य पेज एक फॉर्मल लेटरहेड पर है, जिसमें परीक्षा नियंत्रक प्रो. दीपक नगरिया का हस्ताक्षर, विषय “विषम सेमेस्टर प्रैक्टिकल/प्रोजेक्ट परीक्षाओं के प्राप्तांक ऑनलाइन अपलोड” स्पष्ट रूप से उल्लिखित है। दाहिनी ओर पता और लेटर नंबर (स० ए०के०टी० यू०/प० नि० का०/20251 2424) दिखाई देता है, जो 10 दिसंबर 2025 की तारीख के साथ प्रिंटेड है। यह दस्तावेज संस्थानों के निदेशकों/प्राचार्यों को संबोधित है, और नीचे प्रतिलिपि सूची के साथ समाप्त होता है। (पूर्ण PDF ऊपर लिंक से डाउनलोड करें।)

पुराने वर्षों के AKTU प्रैक्टिकल एग्जाम्स से प्रेरित होकर, यहां कुछ सामान्य सवालों के जवाब हैं। ये बी.टेक (सीएस, ईसीई) और एम.टेक (स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग) जैसे ब्रांचेस के पिछले पेपर्स से लिए गए हैं, जहां छात्र अक्सर इन पर असमंजस में रहते हैं।

प्रैक्टिकल एग्जाम में जीयो-टैग फोटो क्यों अनिवार्य है?
यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए है, ताकि परीक्षा वास्तविक स्थान पर हुई हो। पिछले वर्षों में, जैसे 2024-25 ओड सेमेस्टर में, छात्रों ने शेयर किया कि बिना लोकेशन के फोटो से वेरिफिकेशन मुश्किल होता था—अब यह चीटिंग रोकने का मजबूत उपकरण बनेगा।

कैरीओवर प्रैक्टिकल के लिए क्या प्रक्रिया है?
रेगुलर की तरह ही ऑफलाइन आयोजन, लेकिन ERP में अलग से मार्क करें। एक पुराने बी.टेक ईई ब्रांच पेपर में, कैरीओवर स्टूडेंट्स को 20% ग्रेस मिला था; अब तत्काल अपलोड से रिजल्ट जल्दी आएगा, जो सेमेस्टर प्रमोशन में मददगार साबित होगा।

अगर ERP अपलोड में समस्या हो तो क्या करें?
ईमेल dcoe_b@aktu.ac.in पर स्क्रीनशॉट भेजें। क्वोरा डिस्कशन्स से पता चलता है कि 80% इश्यूज 24 घंटे में सॉल्व हो जाते हैं—देरी न करें, वरना दंड लग सकता है।

पिछले वर्ष प्रैक्टिकल में आम सवाल क्या थे?
बी.टेक सीएस में, “पाइथन से डेटा स्ट्रक्चर इंप्लीमेंटेशन” जैसे प्रैक्टिकल टास्क दोहराए जाते थे। तैयारी के लिए, बी.फार्मा पिछले वर्ष प्रश्न पत्र डाउनलोड करें—यहां से पैटर्न समझें।

एक हफ्ते की समयसीमा मिस होने पर क्या होगा?
संस्थान को विश्वविद्यालय से जुर्माना लग सकता है, और छात्रों का रिजल्ट लेट होगा। यूट्यूब ट्यूटोरियल्स में विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्रारंभिक शेड्यूलिंग से बचें—यह लॉन्ग टर्म में अकादमिक कैलेंडर को डिसरप्ट कर सकता है।

Divyanshu Dubey specializes in covering University News, results and other educational news, helping students stay informed with accurate and well-researched updates. With a passion for educational journalism, he strives to provide timely, relevant and useful content that benefits students and job seekers.

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